
जज तीन प्रकार के होते हैं मितरों.
ट्रांसफर वाले – मुरलीधर की तरह
राज्य सभा और गवर्नर हाउस वाले
और जब दोनों से बात न बने तो परलोक वाले – जज लोया की तरह.
एक दूसरे की खुजाने से ही खुजली दूर होती हैं भाईयो बहनों। पहले हमें खुजली थी तो इन्होंने खुजा दिया था अब इनको खारिश हुई है तो हम सहयोग कर रहे हैं…
जस्टिस लोया बनाम बिकाऊ गोगोई
लायल बनों नहीं तो लोया बना दिए जाओगे…
तो तानाशाह का लायल बनना स्वीकार किया गोगोई ने..
कुछ पन्ने इतिहास के मेरे मुल्क
के सीने में शमशीर हो गये।
जो लड़े जो मरे,वो शहीद हो गये।
जो डरे जो झुके,वो वजीर हो गये।
भारत के पूर्व चीफ जस्टिस द्वारा राज्यसभा के नॉमिनेशन ने निश्चित रूप से ज्यूडिशरी की आज़ादी में आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है, जो कि भारतीय संविधान की बुनियादी स्ट्रक्चर में से एक है. मुझे यह देखकर ताज्जुब हुआ कि पूर्व CJI ने ज्यूडिशरी की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के महान सिद्धांतों से कैसे समझौता किया.
-जस्टिस कुरियन जोसेफ (रिटायर्ड)
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार अवकाश प्राप्त न्यायाधीश जस्टिस लोकुर ने कहा,
‘जो सम्मान जस्टिस गोगोई को अब मिला है उसके कयास पहले से ही लगाये जा रहे थे। ऐसे में उनका नामित किया जाना चौंकाने वाला नहीं है, लेकिन यह जरूर अचरज भरा है कि ये बहुत जल्दी हो गया. यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और अखंडता को फिर से परिभाषित करता है।’
इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि क्या आखिरी स्तंभ भी ढह गया है?